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भगवान बिरसा मुंडा कौन थे और अंग्रेजों ने छल से कैसे मारा। तीर कमानों से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए पूरी जानकारी विस्तार से देखें

   

भगवान बिरसा मुंडा कौन थे और अंग्रेजों ने छल से कैसे मारा। तीर कमानों से अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए पूरी जानकारी विस्तार से देखें

 
*बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखण्ड के खुटी जिले के उलीहातु गाँव में एक छोटे किसान गरीब परिवार में हुआ था। बिरसा मुंडा जी के नाम में जो मुंडा शब्द है जनजाति समूह से संबंधित है जो की छोटा नागपुर पत्थर जो की अब झारखंड है के निवासी थे*

 
*बिरसा मुंडा जी को सैन 1900 में आदिवासियों को संगठित करने एकता में बांधने पर अंग्रेज सरकार आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया और 2 साल का दंड दिया गया*

 

मुंडा विद्रोह का नेतृत्‍व
*भगवान बिरसा मुंडा ने अपने सभी मुंडा जनजाति लोगों को एकत्रित किया  अपने समुदाय में जैन चेतना जागी और संगठित किया। 1 अक्टूबर 1994 से यह अभियान चलाया उन्होंने अंग्रेजों से लगन माफ करने के लिए आंदोलन चलाया इसके पश्चात 1895 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और हजारीबाग केंद्रीय कारगर में 2 साल के जेल की सजा सुनाई गई ।

 

लेकिन यह कारवा नहीं रुका बिरसा और उनके साथियों ने इस अभियान को आगे निरंतर जारी रखा और अपने जनजाति भाइयों के लिए उनके उत्थान के लिए उनकी सहायता करने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखें। भगवान बिरसा मुंडा को उनके इलाके में लोग "धरती आबा" के नाम से जानते थे प्यार से उन्हें धरती बाबा कहते थे*।

 

बिरसा मुंडा और अपने साथियों के साथ अंग्रेजों का लगातार युद्ध चलता रहा और यह 1897 से लेकर 1900 के बीच कई बार अंग्रेजों के साथ युद्ध किया।
साथियों अगस्त 1897 बिरसा और उनकी साथियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँटी ठाणे पर ढाबा हमला बोल दिया 1898 में तांगा नदी में किनारे मुंडाओं की तैयार ब्रिटिश सरकार अंग्रेजों की सेना से हुई।

 

जिसमें पहले तो अंग्रेजों की सेना हार गई थी परंतु बाद में इसके बदले उसे इलाके में बहुत से आदिवासी भाइयों की गिरफ्तार किया*
भगवान बिरसा मुंडा जनवरी 1 जनवरी 1900 को डोम्बरी पहाड़ पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे तभी उसे पहाड़ पर एक बड़ा संघर्ष हुआ जिसमें बहुत सी औरतें और बच्चे मारे गए थे बाद में  गिरफ्तारी भी हुई।

 

*25 साल की उम्र में  भगवान बिरसा मुंडा जी को 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर के जमको पाए जंगल से अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार किया गया ।  भगवान बिरसा मुंडा जी को गिरफ्तार कर झारखंड के रांची जेल में रखा गया जहां उन्हें 9 जून 1900 को अंग्रेजों द्वारा छल पूर्वक जहर देकर मार दिया गया बाद में यह अफवाह फैला दी गई की उन्होने हैजा से दम तोड़ दिया। भगवान बिरसा मुंडा जी को आज भी बिहार उड़ीसा झारखंड छत्तीसगढ़ पश्चिम बंगाल आदिवासी इलाकों में भगवान की तरह पूजा जाता है*।

 

बिरसा मुण्डा की समाधि राँची में कोकर के पास डिस्टिलरी पुल के पास स्थित है। वहीं उनका स्टेच्यू भी बना है। उनकी स्मृति में रांची में बिरसा मुण्डा केन्द्रीय कारागार & बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय विमान क्षेत्र भी भगवान बिरसा मुंडा के नाम से रखा गया है।

 
भारत सरकार ने 15 नवंबर को बिरसा मुंडा जयंती के उपलक्ष में जनजाति गौरव दिवस मनाने की भी घोषणा कर दी है।
झारखण्ड राज्य के  रांची में कोकर नामक स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई और बिरसा चौक पर प्रतिमा लगाई गई है। जहां लोग उन्हें भगवान की तरह पूजा करते हैं।

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